Monday, December 23, 2024
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लोहारू के पिछड़े क्षेत्र से निकलकर दुबई में बिज़नेस हेड तक पहुंचे मुकेश जोशी के संघर्ष की कहानी- उन्ही की जुबानी

ग्रामीण क्षेत्र में हर माँ बाप का सपना होता है कि उनका बेटा पढ़ लिखकर सरकारी नौकरी हासिल करें।इसी सपने के साथ हरियाणा के छोटे से कस्बे लोहारू में रहने वाले पिता सुशील जोशी और माँ धन्नी देवी ने अपने लाडले मुकेश को बड़ा किया था।लेकिन मुकेश के दिल मे सरकारी नौकरी नही बल्कि विदेशों में रहने घूमने के ख्वाबो के साथ साथ परिवार और समाज के लिए कुछ करने का जुनून था।

लोहारू के सरकारी कॉलेज से बीकॉम की परीक्षा पास करने के बाद मुकेश का सफर बड़ा कष्टदायी रहा।मात्र 20 वर्ष की उम्र में कमाने के लिए घर से निकले मुकेश ने ना जाने कितनी राते बिना नींद और बिना भोजन के भूखे रहकर काटी।दिल्ली नोएडा फरीदाबाद में काफी जगहों पर धक्के खाने के बाद मुकेश के हसीन सफर की शुरुआत वर्ष 2013 में तब होती है जब एक इंटरव्यू के दौरान उनकी मुलाकात लैंडमार्क ग्रुप दुबई के एक बड़े अधिकारी से होती है।उन्होंने मुकेश की योग्यता एवम वाक कुशलता से प्रभावित होकर उन्हें दुबई में काम करने का आफर दिया।

अपनी योग्यता एवम कार्य कुशलता के दम पर मुकेश जोशी आज दुबई सहित पूरे सऊदी अरब में बिज़नेस हेड के तौर पर लैंडमार्क समूह की 25 से अधिक शाखाओ को संभाल रहे है जिनमें लगभग 500 कर्मचारी कार्यरत है।

मुकेश जोशी अपनी सफलता का श्रेय अपने स्व पिता सुशील जोशी एवम परिवारजनों को देते है जिन्होंने हमेशा हर विपरीत परिस्थिति में उनका साथ दिया और उनका हौसला बढ़कर रखा।

मुकेश जोशी ग्रामीण क्षेत्रो के उन सभी युवाओ के लिए प्रेरणादायक है जो सरकारी नौकरी ना मिलने या छोटी सी असफलता पर हताश हो जाते है।एक पिछड़े क्षेत्र से निकलकर दुबई जैसे चमचमाते शहरों में अपना कैरियर संवारना वाकई ग्रामीण युवाओ के लिए प्रेणास्त्रोत है।

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