भारतीय संस्कृति और सनातन मूल्यों के प्रचार-प्रसार के लिए महामंडलेश्वर संजनानंद गिरी द्वारा आयोजित चतुष्पथ यात्रा को अब व्यापक समर्थन मिल रहा है। हाल ही में जम्मू-कश्मीर के कैबिनेट मंत्री सतीश शर्मा ने इस यात्रा के महत्व को स्वीकारते हुए इसे पूर्ण समर्थन देने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह यात्रा न केवल आध्यात्मिक जागरूकता को बढ़ाएगी, बल्कि समाज में समरसता, पर्यावरण संरक्षण और राष्ट्रीय एकता को भी सशक्त करेगी।
महामंडलेश्वर संजनानंद गिरी ने मंत्री सतीश शर्मा से मुलाकात कर यात्रा के उद्देश्यों पर विस्तार से चर्चा की। इस यात्रा का उद्देश्य केवल धार्मिक जागरूकता तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे एक समग्र सामाजिक सुधार अभियान के रूप में भी देखा जा रहा है।
चतुष्पथ यात्रा: एक विराट आध्यात्मिक यात्रा
चतुष्पथ यात्रा दो चरणों में संपन्न होगी, जिसमें पूरे भारत को आध्यात्मिक और सामाजिक समरसता के सूत्र में पिरोने का प्रयास किया जाएगा:
पहला चरण: कामाख्या पीठ (असम) से जोधपुर (राजस्थान)।
दूसरा चरण: रामेश्वरम (तमिलनाडु) से कश्मीर।
इस यात्रा के दौरान महामंडलेश्वर संजनानंद गिरी सनातन धर्म के मूल्यों, वेदों की शिक्षा और भारतीय संस्कृति के आदर्शों को प्रचारित करेंगे। उनका मानना है कि यह केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने वाला आंदोलन है।
पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास पर विशेष जोर
चतुष्पथ यात्रा न केवल आध्यात्मिक चेतना को जागृत करने का कार्य करेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण को भी प्राथमिकता देगी। इसके अंतर्गत विभिन्न स्थानों पर वृक्षारोपण, जल संरक्षण, स्वच्छता अभियान और प्रदूषण नियंत्रण जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इससे पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने और सतत विकास को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समरसता का संदेश
यात्रा के मीडिया प्रभारी दुष्यंत प्रताप सिंह ने बताया कि समाज के विभिन्न वर्गों से इसे व्यापक समर्थन मिल रहा है। उन्होंने कहा कि यह यात्रा ‘एक भारत, दिव्य भारत, अखंड भारत’ की अवधारणा को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इससे पहले जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, कई वरिष्ठ राजनेता, सामाजिक कार्यकर्ता, उद्योगपति और फिल्मी हस्तियां भी इस यात्रा के समर्थन में आ चुके हैं।
भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक मूल्यों को नया आयाम
चतुष्पथ यात्रा भारतीय संस्कृति, परंपरा और आध्यात्मिकता को मजबूत करने का कार्य करेगी। यह यात्रा समाज में शांति, सहअस्तित्व और आध्यात्मिक चेतना को जागृत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
महामंडलेश्वर संजनानंद गिरी का यह प्रयास राष्ट्र को एक नई आध्यात्मिक दिशा देने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक समरसता और सतत विकास की भावना को भी प्रोत्साहित करेगा। यह यात्रा भारत के सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्यों को और अधिक सुदृढ़ करेगी, जिससे देश में सहअस्तित्व और सकारात्मक बदलाव की एक नई लहर उठ सके।